Café Reminiscence
Nostalgic Reminiscences
Saturday, May 23, 2020
Tuesday, August 4, 2015
Visit to Shaybah
Official visit to ARAMCO Shaybah project site by ARAMCO private flight was different experience , 1000 KM , 70 minutes , same day return via AlAhsa , 90 minute .Same place I traveled last month by road, it took almost 10 hrs .Interesting part was landing as airstrip surrounded by huge sand dunes , whole area is picturestic but difficult to live.
Sunday, July 5, 2015
Visit to Shayabah , Saudi
Visited this strange , isolated place in Saudi for 2 days , Called Shaybah , where ARAMCO has their Oil/Gas processing plant.Located 1000 KM from Dammam , 400 KM from UAE border .No shops , No Gas station , No Hospital for 400 KM .Project site & camp accommodation is surrounded by huge sand dunes ,I won't say mountain , as it is fine , red sand .At first glance whole area looks picturestic, scenic , but only for a day or two , Living there is difficult .
Even-though there is huge amount of sand piled up , but it always stays on top, from one dune to another , even during sand storms .Due to this particular phenomena , there is no accumulation of sand at ground level .
Even-though there is huge amount of sand piled up , but it always stays on top, from one dune to another , even during sand storms .Due to this particular phenomena , there is no accumulation of sand at ground level .
Sunday, April 19, 2015
Visited Tabuk province , north west of Saudi , I reached at Tabuk airport at midnight and then drove to a village near Khayal , night time I was only able to see the mountain range and sea shore , the whole distance is about 150 KM took almost 4 hrs.
Place is on Jordon border (130 KM) and sometime Egypt lights are also visible on clear nights.
While returning I was amazed to see the beautiful road as after few Km from my place we drove along with the Gulf of Aqaba and Red Sea , clean water , as usual Saudis knows how to utilize sea shores or say Corniche , there are tents available on rent on the shore and Bar be Que facilities are available.
After crossing Sharmaa village nearly 45 KM , both sides were having mountain range with dark grey color like iron with almost no plants .After approx. 100 KM I was astonished to see flat wast terrain Red or say Jaipuri pink color and also mountain of same color , beautiful . Color of sand is like one can put in glass jar to keep same in living room.
Seen many big colourful tents near mountains, Saudis used to come on weekends with their family and spent time with the nature , day time temperature was around 23 Deg C only .wish to see the same place during evening , but I was short of time to catch the flight , Fir Kabhi...
Enjoyed the whole journey and such a visual delight , that also in a place like Saudi ! Gr8
Sunday, October 19, 2014
Music Concert : Red Bull Tour Bus #OffTheRoof
Venue seems to be looks like an odd place but old factory big tin shade turned out to be a perfect place.I always enjoyed these English music concerts although I don't follow English music closely except played by Kids during drives.Best part of these live concerts is the environment & million Decibels and escatacy & energy , which is in contrast with the Indian music which I also enjoy .
Groups were ;
Pentagram
Raghu Dixit Project
Bhayanak Maut
Skrat
Ankur and Sidd
Madboy/Mink
Sound Avtar x DJ Sa
Raghu Dixit Project
Bhayanak Maut
Skrat
Ankur and Sidd
Madboy/Mink
Sound Avtar x DJ Sa
Bhayank Maut as usual are the loudest at full throttle however unable to catch single word , but overjoyed. Raghu Dixit & Pentagram by Vishal Dadlani were also very good & full entertainers as usual.Raghu sang in Hindi & in Kannada.
Sid with friends & Nicx with me had enjoyed every bit of the high Octane extravaganza.
Link :RedBull Tour Bus Mumbai
Link :RedBull Tour Bus Mumbai
Friday, October 3, 2014
Juhu to Pawana Lake , Lonavala by Seaplane
Family Trip to Pawana Lake , Lonavala from Juhu by Sea Plane , operated by Mehair , half n hour flight .Experienced bird eye view of Worli Sea Link , Pune Expressway , JNPT and lush green Lonavla , high peak mountains & of-course Pawana Lake n dam.Single engine 9 Seater small plane ride has also partially fulfilled my wish to charter a plane (see my wish list on blog's right side column) , as besides four of us , there was only a couple with us in the same flight.Take off was normal from Juhu AAI Airport which is used by ONGC & other private operators and personal Air craft /Helicopters owners , but landing on water & further sailing up to the jetty is life time experience , just awesommme !
From barge to boat club boat also arranged by Mehair.
Pawana lake is beautiful, huge ,surrounded by green mountains , spark clean blue water , unspoiled till now , as route from Lonavala is slightly odd , not many people are visiting the lake , There is a restaurant serving snacks n food , Water scooter , boat ride as well as horse ride also available.
Option is available for one side or both sides rides, soon they are going to start services to Arthur lake Bhandardara, Shirdi , Goa etc.
Sunday, August 31, 2014
हरे काँच की चूड़ियाँ
Pic by PD |
उस दिन कुछ कागजात ढूंढते हुए वो पुराना लकडी का बक्सा मिला , खोला तो उसमे दो काँच की चूड़ियो के टुकड़े मिले हरे काँच की , तो सब काम छोड़ कर बस बक्सा लेकर बैठ गया , और भूल गया की क्या ढूंढ रहा था , फिर अतीत में झाँकने की कोशिश करने लगा .
कोई कॉमन फ्रेंड के यहाँ शादी में मिली थी वो कई साल हो गए , शहर छोड़ने के बाद सालों बाद या फिर स्कूल छोड़ने के बाद वो मिली थी , वैसे खबर लगती रहती थी , घ्रर में कभी कबार जिक्र हो जाता था , आखिर बचपन साथ ही गुजारा था , वो ही स्कूल , मोहल्ला , घर वालों का आपस में मेल जोल तो था ही.
मिले पुरानी यादें ताज़ा करी सुख दुःख बांटे वगैराह वगैराह ,अच्छी लग रही थी , हमेशा की तरह , फिर रात को म्यूजिकल प्रोर्ग्राम था , गाना बजाना , डांस भी हुआ , तभी डांस करते हुए उसका हाथ कहीं टकराया और २-३ चूड़ियाँ टूट गयी , लेकिन वो इतनी मगन थी की ध्यान भी नहीं दिया , तब मेने वो चूड़ियों के टुकड़े उठा कर अपनी जेब में रख लिए , लेकिन मेने ऐसा क्यों किया , मुज़हे कभी समझ नहीं आया , बाद में उन टुकड़ों को देखा वो हरे कांच की चूड़ियों के टुकड़े थे , तब गौर से देखा उसने खूब साडी चूड़ियाँ डाल रखी थी , ज्यादातर हरे कांच की , बहुत खूबसूरत , मन तो किया अभी हाथ थाम लूं , उन्हें छू कर देखूं . जिन्हे बचपन में कितनी ही बार थामा होगा .लेकिन तब सोचा न था की वो हाथ मैं अब थाम नहीं सकता था , देर हो गयी थी .
एक वजह और भी हो सकती है उन चूड़ियों के टुकड़े सँभालने की , हुआ यूँ की बचपन की बातें करते हुए उसने बताया की उसे अच्छा लगा था जब मैने उसकी फ्राक पर स्याही छिड़क दी थी गुस्से में .अच्छा लगा सुन कर , और में और वो दोनों ही nostalgic मूड में चले गए .
एक ही स्कूल में जाते थे , अधिकतर साथ ही बैठते थे , वो पढ़ने में होशियार थी होमवर्क करने में हमेशा मदद भी करती थी , मेरे घर में मुज़हे ताने भी सुंनने पड़ते थे की ये ना हो तो लाटसाहब कभी पास ही ना हो , तब में अपना गुस्सा उसपर निकालता था , लेकिन थोड़ी देर बाद फिर वो ही , बचपन भी अजीब होता है , पल में तोला पल में माशा , सब भूल जाता है , लेकिन स्कूल छोड़ने के बाद में सब कुछ भूल जाऊंगा , सोचा ना था .खैर किस्सा ऐसा था की शहर में मेला लगा था हफ्ते भर तक , सब रात को मेले में जाते थे वो भी जाती थी अपने घर वालों के साथ , उस रात भी गयी थी , में भी अपने दोस्तों के साथ गया था , दुसरे दिन क्लास में पंडित माड़साब ने होम वर्क पूछा तो कई और के साथ मुज़हे भी खड़ा होने पड़ा , लेकिन वो बैठी रही , होम वर्क जो कर के लाई थी , तब मुज़हे गुस्सा आया , उस दिन माड़साब ने हथेली लाल कर दी थी खड़े फुट्टे से , स्कूल के बाद उसने मेरा हाथ पकड़ कर देखने की कोशिश करी की कितनी लगी है , लेकिन में कहाँ मानने वाला था इतना जल्दी , मुज़हे समज़ नहीं आ रहा था वो भी कल मेले में थी फिर होमवर्क कब कर लिया , लेकिन वो थी ही ऐसी .मैने बात नहीं करी और घर चला गया .
तब कोचिंग क्लासेज तो होती नहीं थी , तब हम 5-10 बच्चे पास ही रिटायर्ड हनुमान माड़साब के यहाँ पड़ने जाते थे शाम को , घर वाले भी सोचते थे जान छूटे , वहां तो शांति से बैठेंगे नहीं तो यहीं दोस्तों के साथ बस आवारागर्दी करते रहेंगे , हनुमान माड़साब काशी , मथुरा के पंडों जैसे दिखते थे , मास्टरनी भी मोटी सी थी , उनके बच्चे नहीं थे ,माड़साब धोती और ऊपर घर में अधिकतर कुछ नहीं पहनते थे , दूध के और दाल में खूब सारा देसी घी डाल कर पीने के शौकीन थे , तब ज्यादा कैलोरी calculation नहीं होती थी , हमें भी कभी कभी खिलाते पिलाते रहते थे खास कर खीर , या आटे का हलुवा .माड़साब तब फीस नहीं लेते थे कहते थे पेंशन से काम चल जाता है , और किस के लिए बचाना है , माँ फीस की जगह कभी आटा , चावल , तेल या देसी घी घर में रखवा देती थी , डैडी जिन्हे वो डागदर साहेब कहते थे कभी बीमारी में उनका इलाज़ कर देते थे .
माड़साब बैठे बैठे टेड़े मेढे होकर बम छोड़ते रहते थे और हम सब दबी जबान में हँसते थे , कई बार गिनते भी थे , माड़साब के यहाँ कलम और दवात चलती थे , और मेरे हाथ हमेशा गंदे और स्याही से सने रहते थे , था भी तो बेतरतीब , खैर उस दिन जब में गुस्से में था और वो वो एक सफ़ेद पर पिंक फूलों वाली फ्राक में थी तब ,टुएशन के बाद मैने उसकी फ्राक पर स्याही छिड़क कर अपनी भड़ास निकाली , की मैने होमवर्क नहीं किया तो तूने क्यों किया , बस ये ही बात , बाद में मुज़हे घर पर भी सुनना पड़ा था , उसकी माँ ने जो मेरी complaint करी थी .
लेकिन दुसरे ही ही दिन हम फिर दोस्त बन गए , बचपन होता ही ऐसा है , ये तो जब हम अपने teens में आने के बाद 30-35 तक सब को भूल कर अपने में खो जाते हैं , नए रिश्तों में , दोस्तों में और अपने करियर में , हम उन सब लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने नींव रखी , मजबूत किया , संस्कार दिए , मुज़हे याद है मैने बड़े होने के बाद कभी जानने की कोशिश ही नहीं करी की हनुमान माड़साब कैसे हैं , बस एक बार पता लगा नहीं रहे , बस इतना ही !!
उस दिन उसने बताया की उससे उसकी फ्राक के ख़राब होने का दुख तो हुआ था लेकिन ये अच्छा लगा था की होमवर्क तो औरों ने भी नहीं किया था लेकिन उसका सिर्फ उस पर ही गुस्सा होना उसे अच्छा लगा था , इतने सालों बाद वो सुनकर बहुत अच्छा लगा ,.फिर वो टुकड़े ..., शायद , पता नहीं .फिर क्यों कभी पता नहीं किया उसके बारे में , कहाँ है , क्या कर रही है , एक स्टेज के बाद ही पता लगता है क्या छूटा , क्या पाया , ये ही तो ज़िन्दगी है ..सब कुछ ऐसा थोड़ी होता है जैसा हम चाहते हैं , या फिर ऐसा भी होता है जो छूट गया उसे ही हम तलाशते हैं ,
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