Saturday, January 21, 2012

Fursat Ke Raat Din : Gulzar

Album : Fursat ke raat din : small poems.


Fursat Ke Raat Din : Gulzar














I was searching for this album , specially small intro poems at the beginning of each song , I am having audio cassette , bought long back , but I was looking for CD/MP3 version , finally got it.I translated those poems , as few guys have asked for poems/mp3 , Which I will try to upload.Pesh hey Hindi translation...

This particular song & movie is my all time favourite , therefore whole lyrics is posted . 
Song : फिर से आईयो, बदरा बिदेसी

एक मूड एक केफियत गीत का चेहरा होता हे कुछ सही से लफ्ज़ जड़ दो , मोजों से धुन की लकीरें खीच दो तो नगमा सांस लेने लगता हे जिंदा हो जाता हे , बस इतनी सी जान होती हे एक गाने की एक लम्हे के जितनी हाँ कुछ लम्हे बरसों जिंदा रहते हैं ,गीत बूढ़े नहीं होते उनके चेहरों पर झुर्रियां नहीं गिरतीं । वो पलते रहते हैं चलते रहते हैं । सुनने वालों की उम्र बदल जाती है तो कहते हैं । हां वो उस पहाड़ का टीला जब बादलों से ढंक जाता था आवाज़ सुनाई दिया करती थी.........

Song : Fir se ayeo

फिर से आईयो, बदरा बिदेसी । तेरे पंखों में पे मोती जड़ूंगी ।
भरके जाईयो हमारी तलैंया, मैं तलैया के नारे मिलूंगी ।
तुझे मेरे काले कमली वाले की सौं ।
तेरे जाने की रूत मैं जानती हूं, मुड़के आने की रीत है कि नहीं ।
हो काले दरग़ाह से पूछूंगी जाके तेरे मन में प्रीत है कि नहीं ।
कच्‍ची पुलिया से होके बजरिया, कच्‍ची पुलिया के नारे मिलूंगी ।
फिर से आईयो बदरा बिदेसी ।।

तू जो रूक जाए, मेरी अटरिया, मैं अटरिया पे झालर लगा दूं ।
डालूं चार ताबीज़ गले में अपने काजल से बिंदिया लगा दूं ।
छूके जाईयो, हमारी बगीची, मैं पीपल के आंडे मिलूंगी ।
फिर से आईयो बदरा बिदेसी ।

Song :हज़ार राहें मुड के देखी

लाख कसमें दीं लालच दिए पर जाने वाले लोटे नहीं।  सिर्फ राहों पर उड़ते हुए सन्नाटों का गुबार छोड़ गए  ।  कब तक कोई सन्नाटें फांदता रहे  ।  ज़िन्दगी तो चलती रहती हे ।  सिर्फ गिले रह जाते हैं  ।  और वफाओं के झुके हुए सजदे शायद कोई आए कोई आवाज़ दे कहीं से ।

Song : Hazar rahen mud ke dekhi

Song :मेरा कुछ सामान

किनारे दूर होते होते बहुत दूर हो गए पानी के छापाको की आवाज़ भी डूब गयी  ।  दिल में ऐसे सँभालते हैं गम जैसे जेवर समभालता हे कोई  । टूट गए नाराज़ हो गए। हाथ से अंगूठी उतारी वापिस कर  दि   ।  बाहों के कंगन उतारे  ।  और सात फेरों समेत लौटा दिए  ।  लेकिन वो , वो बाकी जेवर जो दिल में रख लिए । उनका क्या होगा ?”

Song: Mera kuch samaan

Song :तुजसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी

“एक रोज़ ज़िन्दगी के रूबरू आ बैठे  ।  ज़िन्दगी ने पुछा  ।  ‘दर्द क्या है ? क्यूँ होता है ? कहाँ होता है यह भी तो पता नहीं चलता  । तन्हाई क्या है आखिर ? कितने लोग तोह हैं ।  फिर तनहा क्यूँ हो ?’ मेरा चेहरा देख कर ज़िन्दगी ने कहा ।  ‘मैं तुम्हारी जुड़वाँ हूँ . मुझसे नाराज़ न हुआ करो ’

Song : Tuzhse naraz nahi zindagi


Song : Dil dundhta hey

 मिसरा ग़ालिब का हे और कफियत हरेक की अपनी अपनी हे । दिल ढूँढता हे फिर वोही फुर्सत के रात दिन। ये फुर्सत रुकी हुई नहीं है  ।  कोई ठहरी हुई  ।  जमी हुई चीज़ नहीं  ।  एक जुंबिश है  ।  एक हरकत करती हुई कैफिय्यत ..

Song : दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत

Song : Ye saaye hein

ये सब शायद शायर के खाम खयाली हो ।  पता नहीं कैसी कैसी परछाइयों को गिरह लगाकर बांद लेना चाहता हे  ।  सब जमा करता हे और कुछ हाथ नहीं आता ।  ये सब के सब सरकते हुय साए हैं ।  इनमें दर्द भी हे रस्म भी  ।  अजीब चीज़ हे ये शायर चाहे जितना उंदेलता कभी खली नहीं होता ..

Song : ये साए हे

Song : Naam gum jayega

ये लड़ी है लम्हों   की ।  झालर बना ली है इसकी  ।  कभी पहन लेता हूँ  ।  कभी उतार देता हूँ ।  बस येही पेश कर रहाँ हूँ नाम पता नहीं रखा भी नहीं । जनता हूँ वक़्त की गर्द में डूब जायेगा घूम हो जायेगा । जो याद रहेगा सिर्फ इतना ...

Song : नाम ग़ुम जायेगा

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