Tuesday, June 25, 2013

शाम से आज आँखों में नमी सी है


Café Reminiscence













मुज्हे उसकी प्रोफाइल pic अचछी लगी तो मेने यूँ ही कहा की एक बस आँखों की तस्वीर भेज दो , क्योंकि उसमे मेने नमी देखी , इतनी कम उम्र में पानी , वो भी हमेशा ? उसने कहा दूसरी क्यों उसे ही crop कर देती हूँ , मेने तॊ बस यूं ही ली थी , तब पता नहीं था की वो एक कहानी बयां करेंगी .

एक बार जब हम धूप में जा रहे थे , उससे कहा चलो तुम्हे Gucci या Dior के गॉगल्स दिलवा देता हूँ , नहीं तो तुम्हारी आँखों की नमी चली जाएगी , उसने मजाक में कहा इतनी सस्ती गिफ्ट्स , देना हे तो कुछ कीमती दो , फिर कहा मुज्हे वो ज्योमेट्री बॉक्स ला दो जैसा आप Sid के लिए लाये थे ,पिंक कलर का जिसमे बटन दबाने पर शार्पनर बाहार आता हे या फिर वो लकड़ी की बेलगाडी जिसे वसंतसेना (Link here) ने अपने गहनों से भर कर उस छोटे बालक को दी थी क्योंकि उस बालक के सब दोस्तों के पास अच्हे अच्हे खिलोने थे और वो रो रहा था , गहनों से सजी उस बेलगाडी पाकर वो बालक बहुत खुश था , तब मेने कहा वो गहनों तो बहुत महंगे होंगे , में कैसे ?

तब वो हंसी और कहा बुद्धू , मुज्हे वो गहने नहीं , उस बालक की वो लकड़ी की बेलगाडी चाहिये , तब में हंसा .

फिर मेने पूछा आँखों में हमेशा नमी क्यों , फिर उसने कहा इस पिक्चर को पहनो मेने उस तस्वीर के प्रिंट को एक चश्मे जैसा पहना , तो एक डाक्यूमेंट्री न्यूज़ जैसा कुछ दिखा , ठीक वैसा ही जैसा में खुद अपनी आँखों से देखता रहता हूँ उन पुरानी यादों को , हमेशा आँखों के सामने आती रहती हैं ,कुछ अच्छी कुछ तकलीफें वाली , ख़ैर

पूरी रील उसने सफ़ेद बैंडेज से लपेट रखी थी जैसे की चोट पर बांधते हैं थोडा खोला तॊ सिर्फ ब्लेंक ही नज़र आया बस कुछ जगह गुलाब के फूलों की पंखुरिया थी कुछ जगह रुई की फाये रखे देखे , कुछ जगह थोड़ी पानी की बुँदे दिखी , मेने कहा मुज्हे तो कुछ दिखा ही नहीं , तब उसने बताया की आपको सिर्फ वो ही नज़र आयगा जो आप से जुड़ा हे , फिर मेने पूछा की वो पंखुरिओं और रुई के फायों का क्या मतलब हे , तब वो मुस्कराई और उसने कुछ भी नहीं कहा ,  बस इतना बताया की वो बूंदें उन बारिशों की हैं जो उसे अचछी लगी तभी उन्हें सहेज के रखा हे ,,..फिर काफी आगे जाने के बाद एक संदूक दिखा , उसे खोला तो उसमे एक गिफ्ट दिखी , तब याद आया जो में बाहर से लाया था शायद ४-५ साल की होगी वो तब , गिफ्ट के पास एक खाली जगह दिखी जिसे उसने रुई के फाये से ढक रखा था बस वो ज्योमेट्री बॉक्स की पिक्चर थी , तब में समझा वो सिद्धार्थ वाले बॉक्स की बात कर रही थी की अब वैसा ही ला दो मुज्हे ...काश तब .


अभी भी जवाब तलाश कर रहा हूँ वो नमी , फाये , .. ब्लेंक ,, शायद कभी ...!

अंदाज़ा भी नहीं था की एक प्रोफाइल तस्वीर भी एक ज़िंदगी बयां कर सकती हे , , लेकिन अब कोशिश करूंगा की वो ज्योमेट्री बॉक्स की जगह खाली ना रहे , सिर्फ उसके ही नहीं जो भी जुड़ा हे किसी न किसी रूप में , किसी भी मोड़ पर , छोटे , बड़े , कोई भी ..



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