Saturday, February 8, 2014

गीली मिट्टी

Short Story : While chatting with my niece on Whats'up , I just texted few lines to her spontaneously , then thought why not post it , added few more lines , and here it is ;

कल रात को सोते हुए ऐसा लगा कि दरवाज़े  पर  कोई है .
सोचा रात को इतनी देर कौन हो सकता है
दरवाज़ा खोल कर देखा कोई नहीं था
वापस बंद करने लगा तो देखा की फर्श पर लाल गीली मिट्टी के कुछ निशान बने हुए थे
जैसे कोई लाल गीली मिटटी   से सने पांव के निशान छोड़ गया
लाल मट्टी और यहाँ , कैसे , यहाँ तो होती नहीं , फिर ?
लगता है कोई गाँव से आया होगा
क्या कोई मुझे याद दिलवाना चाहता है उस मिट्टी की
कहीं मैं वो सब भूल तो नहीं गया
कौन होगा या होगी ?

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