Sunday, July 14, 2013

Barrish : बारिश

Café Reminiscence





कार ऐसी से जब दम घुटने लगा तो शहर के बाहर निकल पड़ा कल रात बारिश हुई थी हरियाली और खाली सड़क दिखी तो नंगे पांव उतर गया और पैदल ही चल पड़ा ,   तलाश कर रहा था की कहीं कोई दरख्त पर कोई टायर से बना झूला मिल जाय तो बच्चों के साथ में भी लाइन में खड़ा हो कर अपनी बारी का इंतज़ार करूं.फिर ,   याद आया वो चांदमारी की तरफ से आने वाला तितलियों का सैलाब , कभी समज नहीं आया की वो सब एक साथ एक ही रास्तें क्यों आती हैं दार हर साल क्या नेविगेशन सिस्टम हे उनका , खैर और आगे पगडण्डी दिखी और में चल पड़ा मट्टी की सोंधी खुशबू सूंघने .

हुआ यूँ की एस बार पहली बारिश महसूस नहीं कर पाया कहीं बाहर जो था . घर ऊपर के माले पर हे वहां से हरियाली और सीनरी तो सुन्दर दिखती हे लेकिन मट्टी की खुशबू नहीं पहुँच पाती.

कई बार सोचता हूँ इन अमरीकियों ने इसे भी पेटेंट करा लिया बासमती राइस (tried ) जैसे तो क्या होगा

कई बार लगता हे बुढ़ापे में चल नहीं पाउँगा तब ? हो सकता हे तब तक ये मरे फ़्रांसिसी लोग कोई परफ्यूम ही बना लें पहली बारिश की मट्टी की खुशबू का तब में Dev (Sid son ) Link here  last para  से कहूँगा वो स्प्रे ला दे ना.


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