Wednesday, July 10, 2013

Soch



रात भर सर्द हवाएं चलती रहीं , तेज बारिश हुई ,कुछ तो नासाज़ तबियत ने कुछ तेज बारिश की आवाज ने सोने नहीं दिया , खिडकियों के खरखराने की आवाजें भी आती रहीं .

वो रात भर टूटी खपरेल के नीचे खाली बर्तन लगाती रही पानी था की रुक ही नहीं रहा था .

मैं लेटे हुए इंतज़ार कर रहा था की कोई तेज हवा का झोंका आये तो मेरे चेहरे पर कुछ पानी के छीटें पड़ें तॊ उन्हें महसूस करूं.

इतने में आवाज़ आयी बचपना छोड़ो और एक और खाली बर्तन ला कर दॊ.

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